Saturday, January 30, 2010

अर्ज़ किया है................

पग डग मगा गए
ख़ुशी के पल रुला गए
जिंदगी के रूप थे ,
जो रंग अपना दिखा गए
-सचिन"दीवाना"

प्यार का एक मुक्तक तुम्हारे नाम..............

ख़ुशी का नीर बन कर मैं तेरी पलकों पे आऊंगा
मधुर एक गीत बनकर मैं तेरे अधरो पे आऊंगा
कोशिशे लाख कर लेना तुम मुझ को भुलाने की
मैं रातो को,मैं नींदों में ,तेरे सपनो में आऊंगा .........
-सचिन"दीवाना"

एक कविता और

कभी भूल कर कभी जान कर
जाने क्यूँ तुम्हे अपना मानकर
तेरी यादो से विवाह कर लिया
हमने खुद को तबाह कर लिया ।
सचिन "दीवाना"

Friday, January 29, 2010

my new poem

सच तो यह है राहे-अ-प्यार में
हम दिल से चले तुम दिमाग से
तुम्हे तुम्हारी चालाकी ने बचा लिया
हमें हमारे विश्वास ने डुबा दिया
-सचिन "दीवाना"