Saturday, August 7, 2010

चाहे मावस हो या पूनम हो, मुझे याद बहुत तू आती है
तन्हाई के सन्नाटे में मुझे तेरी याद सताती है !
पागल दिल है समझे न , मैं इसे बार बार बहलाता हूँ
मिलन हमारा असंभव है ,मैं लाख इसे समझाता हूँ
यू तो सारी दुनिया को तुझे भूल चुका बतलाता हूँ
पर दिल तो आखिर दिल है ना इस दिल से हार मैं जाता हूँ।

तेरी यादे तेरी बाते भला क्यूँकर भुला दूँ मैं ,
मुहब्बत की वो सोगाते भला क्यूँकर भुला दूँ मैं

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